नई दिल्ली। केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने अधिकारियों को नोटबंदी के बाद पांच सौ और दो हजार के कितने नोटों की छपाई की गई, इसकी जानकारी देने का आदेश दिया है।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी भारतीय रिजर्व बैंक नोट मुद्रन (पी) लिमिटेड ने दावा किया है कि मुद्रा की छपाई और संबंधित गतिविधियों को लोगों के साथ साझा नहीं किया जा सकता, क्योंकि इसके परिणामस्वरूप नकली मुद्रा का प्रसार होगा और आर्थिक अराजकता यह मनाया। मामले की सुनवाई करते हुए सूचना आयुक्त सुधीर भार्गव ने जानकारी देने का आदेश दिया है।
गुरुग्राम के सूचना के अधिकार (आरटीआई) कार्यकर्ता हरिंदर धींगड़ा ने 9 नवंबर 2016 से 30 नवंबर 2016 के बीच छापे गए नोटों की जानकारी मांगी थी। हालांकि, उनकी अपील को केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी (सीपीआईओ) की तरफ से खारिज कर दिया गया था।
जिसके बाद हरिंदर ने 16 अगस्त 2017 को दूसरी अपील दाखिल की। धींगड़ा ने अपने आदेश में कहा, ‘9 नवंबर 2016 से 30 नवंबर 2016 तक रोजाना कितने नोट छापे गए, यह कोई संवेदनशील मामला नहीं है, जिसे आरटीआई अधिनियम की धारा 8(1)(ए) के तहत छूट प्रदान की जाए, इसलिए सीपीआईओ को निर्देश दिया जाता है कि मांगी गई जानकारी मुहैया कराई जाए।’
गौरतलब है कि 8 नवंबर 2016 की आधी रात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी की घोषणा की थी। इस घोषणा के बाद 500 और 1000 के पुराने नोटों को चलन से बाहर कर दिया था और पांच सौ और दो हजार के नए नोट जारी किए गए थे।
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